माता-पिता, भाई-बहन हो या सगे सबंधी सब है देश के बाद, यही भावना हर देश प्रेमी में होती है। देश की सरहदों पर तैनात जवान हो, देश के वैज्ञानिक हो या विश्व में देश का नाम रोशन करने वाले खिलाडी-कलाकार हर एक भारतवासी की गर्व कथा है।
सरहद की सुरक्षा की वात हो या खेल के मेदान में देश के गर्व की बात, या फिर देश के स्पेश विज्ञान की बात क्यो न हो ईस सब में योगदान देने वाला हरेक भारतीय देशप्रेमी है।
देश प्रेम सिर्फ देश में रहने वालों में ही नहीं देखने को मिलता है, देश में जन्म लेने के बाद विदेश में जाकर भी मातृभूमि के लिए किसी भी प्रकार से अपना प्रदान करने वाला हरेक भारतीय देश प्रेमी है। सरहद पर युद्ध होय या खेल का मेदान, या फिर विज्ञान की बात ही क्युं न हो, भारतीय हर क्षेत्र में अपनी जन्मभूमि का गर्व बढाते रहेते है।
कोरोना के मुश्किल समय में पूरे विश्व में दहशत का माहोल था। कम संशाधनों के बाद भी भारत ने ईस वायरस को जिस प्रकार पछाडा उसे देख पूरा विश्व चोंक गया। साधन-संपन देश अभी भी ईस वायरस से झूझ रहे है मगर भारत ने कोरोना पर विशाल जन संख्या के होते हुए भी नियंत्रण पाने में सफलता प्राप्त की जिसे देख पूरा विश्व दातों तले उंगलियां दबा गया।
कोरोना की वेक्सिन भारत में बनाना बहुत मुश्किल लग रही थी किन्तु आज भारत में 200 करोड से ज्यादा वेक्सिन के डोझ दीए जा चुके है। यह सब के पीछे किसे एक का योगदान नहीं है। संशोधक, वैज्ञानिक और उद्योगपतिओ के संयुक्त प्रयासो के फलस्वरूप यह बात हो शकी है। कोरोना काल में हर भारतीय का समर्पण देखने को मिला। आर्थिक बेहाली में भी समर्पित भारतीयों ने परिवार की भावना दीखाते हुए एक दूसरे का सहारा बनकर मदद का हाथ बढाया और उसी के कारण भारत कोरोना जैसी महामारी को महात देने में सफल रहा है।
ईतना ही नहीं जिस भारत की और वेक्सिन बना पाएगा या नहीं एसे सावल किए जाते थे वही भारत ने स्वदेशी वेक्सिन तो बनाई ही मगर देश के लोगों को देने के साथ-साथ गरीब और वेक्सिन बनाने को अमर्थ देशो को भी वेक्सिन सप्लाय कीछ देश के लिए ईससे बडे गर्व की बात क्या हो सकती है।
भारत को सोने की चिडिया कहा जाता था। यही कारण से मुगल हो या अंग्रेज हरेक की नजर भारत रही। अनेक प्रांत, अनेक भाषा, अनेक जाती के लोंग होते हुए भी विविधता में एकता को हंमेशा बताते हुए भारतीयो ने देश की और नजर करने वालों को धूल चटाई है। महाराणा प्रताप, शिवाजी महाराज, झांसी की राणी, महात्मा गांधी, सरदार भगतसिंह, लाला लजपत राय जैसे कई एसे नाम है जिन्हे देश के गर्व और आजादी के संदर्भ में कभी भूला नहीं जा सकता।
घास की रोटिंयां खाई, भयानक प्रदेशो में भटके किन्तु मुगलों से संघर्ष करके अपनी मातृभूमि मेवाड का गौरव अंति क्षण तक मिटने न दीया एसे राणा प्रताप थे। 200 साल से देश को गुलामी में जकडकर रखने वाले अंग्रेजों से देश को आजाद कराने में शहीद होने वालों की कहानी आज भी हमें गर्वान्वित करती है।
आज भी देशवासी ईन महापुरूषो की समाधियों पर श्रद्दांजलि अर्पित करने में स्वाभिमान समजते है। मातृभूमि की रक्षा के लिए बलिदान देने वालों के कृत्यों को सुनकर तो विदेशी भी नतमस्तक हो जाते है। देश के शूरविर हमें देश हित में मर-मिटने की प्रेरणा देते है।
देश प्रेमि वही है जिसके दील में देश का अभिमान-स्वमाभिमान होता है। किसी भी सच्चे देशभक्त के लिए देश से बडा कुछ नहीं होता। जन्मभूमि को ही सबसे बडी चीज मानने वाले के लिए स्वजन-परिजन, माता-पिता, भाई-बहन एवं धन-दौलत कोई माईने नहीं रखता है। स्वदेश प्रेमी हंमेशा देश-देशवासीओं के हित की बात करता और सोचता है।
देश की और नजर करने वाले को, देश का अपमान करने मुंहतोड जवाब वही देता है, जिसके हृदय में देश के प्रति प्रेम है और जो देश की आन-बान-शान के लिए अपने प्राणों की बाजी भी लगा सकता है। भारतने एसे देश प्रेमी देखे है जिन्होने देश के लिए-देश की स्वतंत्रता के लिए हंसते हंसते अपने प्राणों की आहुती दे दी।
एसे अनेक है जिन्होने हंसते-हंसते फांसी के फंदे को फूलों की माला की तरह पहन लिया। न सागर की गहराई पर संदेह और न ही पर्वत की हिम श्रृंखलाओं का भय एसे महापुरूषों को नहीं होता है और उनका लक्ष्य देशहित के लिए जीवन का बलिदान ही होता है।
जहां देशे के गौरव की बात आती है, देश के स्वमान को बचाने की बात आती है, हरेक देश प्रेमी को किसी भी प्रकार का वैभव नहीं रोक पाता है न ही पत्नी-बच्चों का प्यार ईसमें बाधक बनता है। देशप्रेमी की इंद्रिया एक अलौकिक तेज से दमक उठती है, एसे में न तो अकाल मृत्यु का भय रहता है और नही पुनर्जन्म की आशंका रहती है।
देशप्रेमी के सामने हंमेशा स्वदेश के सम्मान एवं उत्थान का प्रश्न रहता है और उसी को पूरा करने में वे अपना सर्वस्व समर्पण करके धन्य होते है। देशवासी के लिए हरेक देशवासी उसका आत्मिय हो जाता है। स्वदेश की हरेक वस्तु उसे प्राणों से बढकर लगती है। देश की सुरक्षा पर सवाल खडा होने पर पूरा देश साथ खडा रहा जाता है। जब-जब देश पर आफत आई तो जन्मभूमि की लाज बचाने प्राणों की आहुती देने वालों की कभी भी ईस देश में कमी न पडी।
सोने की चिडिया कहे जाने वाले देश को विदेशी ताकातों ने नोंच लिया। जिस देश में एक समय सुराज्य था वहां विदेशीओ का कुराज्य स्तापित हो गया था। मुगल हों या अंग्रेज सबने भारत को सदीयों तक लूंटा। विदेशीओ के सदीयों तक गुलाम रहे देश की विकास यात्रा भले देरी से शरू हुई मगर आजादी के बाद उसकी तेज रफतार ने पूरे विश्व को चोंका दीया।
आज सुरक्षा होय या आर्थिक हरेक क्षेत्र में विश्व भारत का लोहा मानता है। न सिर्फ भारत हरेक भारतीय को वूरे विश्व में सम्मान की नजर से देखा जाता है। भारत हरेक क्षेत्र में विश्व में छाया हुआ है। आज सायन्स से लेकर स्पेस तक भारत-भारतीय छाये हुए है। भारतीय जहां भी जाता है एक अलग पहचान बना लेता है।
देशप्रमी भारतीय वसुदैवकुटुंबकम की भावना के साथ शांती-भाईचारे के आदर्शो का पालन करते हुए अपने देश की शान बढाने के प्रति समर्पित रहता है।
देशने महाराणा प्रताप, रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, गुरू गोविंद सिंह, छत्रपति शिवाजी, महात्मा गांधी, सरदार पटेल, पंडित जवाहरलाल नेहरू, चंद्रशेखर आजाद, भगतसिंह, सरोजिनी नायडू आदि के प्रयासो से स्वाधिनता का गौरव प्राप्त कीया है। इन महापुरूषो के बलिदान संघर्ष की कथाएं आज भी हमे देश के लिए मर-मिटने को प्रेरित करती है।
विदेशीओं के वर्चस्व के कारण भारत में विदेशी चीजों की बोलबाला जरूर रही है। देश प्रेमीयों को यह बात कतई हजम नहीं होती है इसीलिए वे हंमेशा स्वदेशी का स्विकार करना ज्यादा पसंद करते है।
भारतीय नागरिक वही होता है जिसने देश में जन्म लिया हो, जिसके दील में देश के प्रति गर्व की भावना हो, जो देश के गौररव के लिए मर-मिटने को सदैव तैयार हो। अनेक राज्य, अनेक जाती, अनेक धर्म होने के बावजूद भारत की विविधता में एकता ही उसकी सबसे बडी शक्ति है।
देश की एकता का सबसे ताजा उदाहरण यही है की वर्ष 2022 में 13 से 15 अगस्त तक देश में हर घर तिरंगा अभियान संपन्न हुआ। ईन तीन दीनों में तो देश के कोने-कोने, हर घर, हर ईमारत पर तिरंगा लहराता हुआ मिला, जिसने करोडों भारतवासीयों के देशप्रेम की शक्ति को विश्व में प्रदर्शित कर दीया।